लेखक ने इलेक्ट्रीशियन के पैसे बचाने के चक्कर में अपना और ज़्यादा नुक्सान कर दिया लेखक ने इलेक्ट्रीशियन के पैसे बचाने के चक्कर में अपना और ज़्यादा नुक्सान कर दिया
वह अभी भी एकटक रवि को ही देख रही थी। वह अभी भी एकटक रवि को ही देख रही थी।
वजह बेवजह तनाव का लबादा ओढ़े घूमते रहते हैं।आखिर मन ने कहा, क्या निराश हुआ जाए ? वजह बेवजह तनाव का लबादा ओढ़े घूमते रहते हैं।आखिर मन ने कहा, क्या निराश हुआ जाए ?
हमेशा से सही साबित हुई की आज कल के सुबह के भूले शाम तो क्या दूसरे दिन भी घर नहीं आते... हमेशा से सही साबित हुई की आज कल के सुबह के भूले शाम तो क्या दूसरे दिन भी घर नहीं...
और कमलाबाई सौदामिनी के कौंधने से डर कर झोंपड़ी में आ गई। और कमलाबाई सौदामिनी के कौंधने से डर कर झोंपड़ी में आ गई।